Thursday, March 28, 2013

shankaracharya

सरस्वती के मंदिर में नमाज क्यों?

 शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंदजी सरस्वती से विशेष मुलाकात 
जगदगुरु उवाच -सफलता के लिए दंड नहीं धार्मिक भावना जरूरी
 -धर्म का आश्रय लो, पशु बनना छोड़ दो 
-सत्ता पर धर्म का नियंत्रण जरूरी होता है





 शैलेंद्र जोशी (deputy news editor, dainik dabang duniya, indore-mp)
इंदौर। (25-3-13) गुलामी के वक्त हमारे देवस्थानों पर कब्रस्तान बना दिए गए। ऐसा ही प्रयास भोजशाला में हुआ। हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं लेकिन जब मुस्लिम भाई निराकार परमात्मा की आराधना करते हैं और मूर्ति पूजा उनके धर्म के विरुद्ध है तो फिर सरस्वती के मूर्ति स्थल पर नमाज पढऩे क्यों जाते हैं? वास्तव में देश में जितने भी धर्मात्मा राजा हुए हैं, उनमें प्रमुख थे राजा भोज, उन्होंने धार की भोजशाला में देवी सरस्वती की मूर्ति स्थापित की थी। यहां की संस्कृति का बड़ा सम्मान था और राजा सरस्वती की आराधना करते थे। उनके राज्य में ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं था जो संस्कृत नहीं जानता था। कवि कालिदास उनके सभासद थे। क्या हम इस विरासत को भूल जाएं?
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने यह बात सोमवार को दैनिक दबंग दुनिया से खास मुलाकात में कही। वे द्वारका स्थित शारदा और बद्रिकाश्रम स्थित ज्योतिष मठ के पीठाधीश्वर हैं। उनका रविवार को नैनोद स्थित शंकराचार्य मठ में आगमन हुआ। वे होली यहीं मनाएंगे।
 संत किसी पार्टी का नहीं होता 
शंकराचार्यजी ने कहा कि भोजशाला का संकट सरकारों का ही खड़ा किया हुआ है। पहले उमा भारती ने वहां सरस्वती पूजन के लिए सत्याग्रह किया था लेकिन उस वक्त जो पार्टी सत्ता में थी, क्या उसे धर्म विरोधी माना जाए? उन्होंने कहा संतों की एक परंपरा होती है। हमारे यहां परंपरा में राज धर्म का भी महत्व है। संत किसी पार्टी का नहीं होता लेकिन यदि कुछ गलत हो रहा है तो उसका विरोध कर व्यवस्था दुरुस्त करने में उसे अहम भूमिका निभानी ही चाहिए।
मैं कांग्रेसी कैसे?
 इस सवाल पर कि आप पर हमेशा कांग्रेसी आचार्य होने का आरोप लगता रहा है, शंकराचार्यजी ने कहा कि मैं किसी कांग्रेसी के घर नहीं जाता, हम तो संत हैं, यदि वे मार्गदर्शन-दर्शन के लिए आते हैं तो हम उन्हें रोक नहीं सकते। हम सबके लिए हैं, तभी तो हमें जगद् गुरु कहा जाता है।
क्या गंगा में गंदगी बहने दें? 
स्वामीजी ने कहा गंगा में कारखानों का केमिकल और ड्रेनेज की गंदगी बहाई जा रही है। उत्तराखंड में ही गंगा पर 70 से जयादा बांध बनाए गए हैं। इस पर यदि संत गंगा को निर्मल रखने के लिए कहता है तो क्या वह राजनीतिक है? अनाज में यूरिया और अन्य केमिकल के तत्व आ रहे हैं। कीटनाशकों की बदौलत उसके कीड़े अत्यधिक जहरीले हो गए हैं। क्या संत इसका विरोध नहीं कर सकते?
क्या वे हमें गाइड करेंगे?
स्वरूपानंदजी ने कहा कि आद्य शंकराचार्य 2500 साल पहले हुए थे और तब से हमारी परंपरा चल रही है। डॉ. हेडगेवार, गोलवलकर, सुदर्शन आदि 125 साल से ज्यादा के नहीं हैं। हम उन्हें गाइड करेंगे या वे हमें गाइड करेंगे?
युवाओं को दें संस्कारों की शिक्षा
देश में बढ़ते दुष्कृत्यों की घटना पर शंकराचार्यजी ने कहा यह कृत्य युवाओं ने ही किए हैं और वे ही विरोध के लिए भी खड़े दिखाई देते हैं। वास्तव में युवाओं में संस्कारों की शिक्षा की खास जरूरत है। उन्हें यह समझाना होगा कि जैसा व्यवहार आप अपनी बहन-बेटी के लिए चाहते हैं वैसा ही व्यवहार आप दूसरों के साथ भी करें। संत को उसके आचरण से परखो 
जगद् गुरु ने माना कि यह सच है कि देश में कई नकली शंकराचार्य और संत घूम रहे हैं, लेकिन लोग जानते हैं कि कौन असली है और कौन नकली। संत की पहचान उसके आचरण से ही हो जाती है। आजकल के संत ढाबे पर खा रहे हैं।

Monday, October 8, 2012

joshi maharaj: यह हिम्मत नहीं....मेरे पूर्वजयदि फेसबुक पर हों ...

joshi maharaj: यह हिम्मत नहीं....

मेरे पूर्वज
यदि फेसबुक पर हों ...
: यह हिम्मत नहीं.... मेरे पूर्वज यदि फेसबुक पर हों तो उन्हें बताना चाहता हूं मैंने कोई खास धन नहीं कमाया कोई बड़ी गाड़ी नहीं खरीदी नेता नहीं ...
यह हिम्मत नहीं....

मेरे पूर्वज
यदि फेसबुक पर हों तो
उन्हें बताना चाहता हूं
मैंने कोई खास धन नहीं कमाया
कोई बड़ी गाड़ी नहीं खरीदी
नेता नहीं बना
बड़ा पद हासिल नहीं किया
क्योंकि
जो राहें उन तक जाती हैं
उनके बीच में पड़ी गंदगी और कीचड़ में
पांव रखने का मैं जुटा नहीं सका साहस!
-शैलेंद्र जोशी

Tuesday, April 12, 2011

हम हैं अन्ना के हजारों हाथ

भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन में अन्ना देशभर में अलख जगाने के लिए अपने पैतृक गांव से रवाना होंगे। अन्ना न तो पहले अकेले थे न अब हैं। वे लोगों के दिलों में बसे हुए हैं। उनकी आवाज आम भारतीय की आवाज है और उनका फैसला पूरे हिंदुस्तान का फैसला है। उनके अभियान और काम में हम सब उनके हजारों हाथ हैं।
पं. शैलेंद्र जोशी, इंदौर

Sunday, April 10, 2011

विवाह का आठवां वचन : पानी की बर्बादी रोकेंगे

ब्राह्मण समाज ने विवाह में अब आठवां वचन लेने का फैसला लिया है। सात वचनों के बाद आठवां वचन वरुण देवता को खुश करने के लिए लिया जाएगा, ताकि जीवन में नवग्रह की कृपा बनी रहे। वास्तव में इस आठवे वचन में ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से सामाजिक सरोकार को भी जोड़ा गया है और पानी की बर्बादी रोकने का संकल्प लिया जा रहा है। आठवां वचन जल संरक्षण के लिए होगा, जिसमें नव दम्पत्ति से यह वचन लिया जाएगा कि वे जीवन में पानी की अपव्यय कर कभी भी वरुण देवता को नाराज नहीं करेंगे।
हाल ही में यह फैसला भोपाल के श्री सिद्धेश्वर ज्योतिष केंद्र के प्रमुख ज्योतिषाचार्य श्री धर्मेंद्र शास्त्री की अगुवाई में लिया गया। इस फैसले में उन्होंने शहर और प्रदेश के कई ज्योतिषियों और पुरोहितों से संपर्क कर उनसे आग्रह किया है कि वे विवाह के अवसर पर वर-वधु को सात वचनों के साथ ही एक और वचन पानी की बर्बादी रोकने के लिए दिलाएं। इस फैसले का भोपाल जिला प्रशासन ने भी स्वागत किया है।

देशभर के पुरोहित आगे आएं
सर्व ब्राह्मण शिखर का मत है कि यह फैसला सिर्फ भोपाल तक नहीं बल्कि राजधानी के माध्यम से पूरे प्रदेश और फिर देशभर तक पहुंचना चाहिए। प्रति वर्ष गहराते जल संकट और गिरते भूजल स्तर के चलते ब्राह्मणों को इस विषय में भी गुरु की भूमिका का निर्वाह करते हुए जल संरक्षण की दिशा में लोगों को प्रेरित करना चाहिए। इसके लिए विवाह के सात वचनों में आठवां वचन जल संरक्षण का जोडऩे से अच्छा कुछ नहीं हो सकता। अब जरूरत है कि विवाह कराने वाले समूचे पुरोहित वर्ग को आगे आकर इस विषय की गंभीरता को समझते हुए विवाह का आठवां संकल्प जरूर दिलवाना चाहिए। इंदौर शहर में पं. चंद्रभूषण व्यास, पं. मनोज व्यास, पं. गणेश शास्त्री, पं. रेवाशंकर शुक्ला, सिवनी मालवा के पं. आशुतोष जोशी और पं. योगेंद्र महंत ने विवाह कराने के वक्त आठवां वचन दिलाने के प्रति सर्व ब्राह्मण शिखर परिवार को आश्वस्त किया है।

Saturday, April 2, 2011

जीतेंगे तो राम ही...

...जीत तो राम की ही होगी...रावण और उसकी लंका को पराजय का मुंह देखना ही पड़ेगा।

Tuesday, March 29, 2011

राज करेगी टीम इंडिया...!

जीतेगा भारत, मनेगी खुशियाँ, दुनिया पर राज करेगी टीम इंडिया...!